Tuesday, April 27, 2010

वन्दे मातरम्





वंदे मातरम् भारत का राष्ट्रगीत है। बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन 1882 में उनके उपन्यास ‘आनंद मठ’ में अंतर्निहित गीत के रूप में हुआ। इस उपन्यास में यह गीत कुछ संन्यासीयों द्वारा गाया गया है। इसकी धुन जदुनाथ भट्टाचार्य ने बनाई है। 2003 में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण मे जिसमे अब तक के दस सबसे मशहूर गानो का चयन करने के लिए दुनिया भर से लगभग 7000 गीतों को चुना गया था, और बीबीसी के अनुसार, 155 देशों/द्वीप के लोगों ने इसमे मतदान किया था, वंदे मातरम् शीर्ष के 10 गीतों में दूसरे स्थान पर था।



वन्दे मातरम्

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।

तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि
मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्
वन्दे मातरम् ।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलां
सुजलां सुफलां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां
धरणीं भरणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।।