Monday, May 31, 2010

श्रीरामचरितमानस पढ़ो, श्रीराम के आदर्श अपनाओ

श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचा एक महाकाव्य है। श्री रामचरित मानस भारतीय संस्कृति मे एक विशेष स्थान रखती है। उत्तर भारत में रामायण के रूप में कई लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। श्री राम चरित मानस में श्री राम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में दर्शाया गया है जब कि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। शरद नवरात्रि में इस के सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है।






रामचरित मानस १५वीं शताब्दी के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। जैसा कि तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के बालकाण्ड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना का आरंभ अयोध्यापुरी में विक्रम संवत १६३१ (१५७४ ईस्वी) के रामनवमी, जो कि मंगलवार था, को किया था। गीताप्रेस गोरखपुर के श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को २ वर्ष ७ माह २६ दिन का समय लगा था और संवत् १६३३ (१५७६ ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन उसे पूर्ण किया था. इस महाकाव्य की भाषा अवधी है जो कि हिंदी की ही एक शाखा है। रामचरितमानस को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। रामचरितमानस को सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसी कृत रामायण' भी कहा जाता है।






रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचन्द्र, जिन्हें कि केवल राम भी कहा जाता है, के निर्मल एवं विशद् चरित्र का वर्णन किया है। महर्षि वाल्मीकि रचित संस्कृत रचना रामायण को रामचरितमानस का आधार माना जाता है। यद्यपि रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही राम के चरित्र का वर्णन है परंतु दोनों ही महाकाव्यों के रचने वाले कवियों की वर्णन शैली में उल्लेखनीय अंतर है। जहाँ वाल्मीकि ने रामायण में राम को केवल एक सांसारिक व्यक्ति के रूप में दर्शाया है वहीं तुलसीदास ने रामचरितमानस में राम को भगवान विष्णु का अवतार माना है।



रामचरितमानस को तुलसीदास ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार अयोध्याकाण्ड और सुन्दरकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में हिंदी के अलंकारों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस पर प्रत्येक हिंदू की अनन्य आस्था है और इसे हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ माना जाता है।

साभार

Saturday, May 29, 2010

एक इस्लामिक आतंकी का इंटरव्यू, (B.B.C. Hindi Website से)


(भारतीय कश्मीर का है ये आतंकी, अमजद बट)
मुझे अल्लाह और अल्लाह के रसूल की बातें बताईं. मैंने सुन कर कहा कि ये लोग तो बिल्कुल ठीक बातें करते हैं. मुझे भी अल्लाह और अल्लाह के रसूल के हुकुमों पर चलना चाहिए. फिर मैं उनके साथ चला गया. मैं उनके साथ अफ़ग़ानिस्तान चला गया जहां एक सूबे में हमारी ट्रेनिंग हुई. हम तीन आदमी थे. अजमल बट, अलक़मा भाई और तीसरा मैं यानी अमजद बट. अलक़मा भाई कश्मीर में शहीद हो गए. हम तीन लड़के जब उधर गए तो हमारे ख़ानदान के सारे लड़के कहने लगे कि ये लोग तो अल्लाह के रास्ते पर निकल गए हम कहीं उनसे पीछे न रह जाएं.
हमारे जाते ही हमारे गांव के 50 लड़के हमारे पीछे आ गए जिनमें कई मेरे ख़ानदान के अलावा कई और बिरादरी के लोग भी शामिल थे. पूरे गांव के 50 लोगों ने जाकर सूबा कूनन में ट्रेनिंग ली. हम वहां से कश्मीर चले गए और फिर वहां हमें बॉर्डर कार्रवाई का सौभाग्य मिला.
हमने रॉकेट फ़ायर किए जिनमें सात हिंदू मरे थे. हमारी (पाकिस्तानी) फ़ौज का काम है कि वह उन्हें रोके. जब वह नहीं रोकती है तो हमें रोकना पड़ता है”.

क्या इस्लाम हिंदुओं और गैर इस्लामिकों का कत्ल करना है???
क्या इस्लाम सिर्फ़ दहसतगर्दी है???
क्या इस्लाम मे मुल्कपरस्ति (माँ) नही है???
क्या यही इस्लाम है, अल्लाह है???

संपूर्ण विश्व इस इस्लामिक आतंकवाद से त्रस्त हो गया है और इसे देखने से यही लगता है कि आतंकवाद हीं इस्लाम है|
अब समय आ गया है क़ि हिंदू भी अपनी मातृभूमि एवम् हिंदुत्व की रक्षा के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण को छोड़ें| जब ये खुलेआम हिंदुओं को मरने की बात करतें है तो हम क्यों नही? हमें अपनी एवम् अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए खुद आगे आना होगा, देश के राजनेता अपनी सत्ता बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है| आज़ादी से लेकर आज तक हिन्दुस्तान की इस हालात के लिए इनकी और हमारी मुस्लिम तुस्टिकरण ही जम्मेदार है, नही तो अखंड भारत के तरफ देखने की ताक़त किसी मे नही होती|

मैं गर्व से कहता हूँ क़ि हिंदू हूँ, कोई उग्रवादी नही| हमें देशभक्ति आती है गद्दारी नही|

Friday, May 28, 2010

मंगल भवन अमंगल हारी

गाना : मंगल भवन अमंगल हारी
फिल्म गीत गाता चल
संगीतकार रविन्द्र जैन
गीतकार रविन्द्र जैन
गायक जसपाल सिंह


मंगल भवन अमंगल हारी

द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम \- २


हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी

हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू

हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी



रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम


हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
http://www.youtube.com/watch?v=JLNUCg2M0LA

Wednesday, May 26, 2010

मुसलमान जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं-उदाहरण देखिये

मुसलमान जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं-उदाहरण देखिये


चौंकिए मत!
आज ब्लोग्वानी पर एक पोस्ट देखी, जिसमें एक मुस्लिम महिला ब्लोगर की आलोचना की गयी है. इस महिला ब्लोगर ने अपने किसी लेख में हिन्दू धर्म की प्रशंसा में लिख दिया था कि जहां नारी की पूजा होती है वहाँ देवता वास करते हैं.



जिस थाली में खाता है, उसी में छेद करता है. मुसलमानों को प्रवृति ही ऐसी है देशद्रोही वाली.  


आश्चर्य की बात यह भी है कि यह वही महिला ब्लोगर है जिसने जागो हिन्दू जागो की पोस्ट पर जाकर ब्लॉग के स्वामी से मुहम्मद का कार्टून हटवाने की विनती की थी. इस्लाम के ठेकेदार और देश के गद्दार इस आदमी (?) का इतना साहस नही हुआ कि मुहम्मद के कार्टून का विरोध करते हुए एक शब्द भी बोलता. यहं इसे साँप सूंघ गया.


यह महिला ब्लोगर की महानता है कि उसने मुहम्मद का कार्टून हटवाने की विनती की. इतना ही नही ब्लॉग के स्वामी सुनील दत्त जी ने भी महिला ब्लोगर की विनती का मान रखते हुए मुहम्मद का कार्टून हटा लिया.

कोई मुसलमान हिन्दू धर्म की प्रशंसा कर दे तो इनको सहन तक नही होता और ये हमारे देवी-देवताओं के अश्लील चित्र बनायें तो कुछ नही.  हिन्दू धर्म के लोगो अब तो जाग जाओ!

 
इस आदमी (?) के मजहब के संस्थापक के चरित्र को बताती पोस्ट देखिये.
मुहम्मद अपनी औरतों को नहीं मारते थे ?
क्या औरतें स्वेच्छा से मुहम्मद के पास शादी का प्रस्ताव रखती थीं.

 



जिस देश में यह व्यक्ति रहता है, उसी देश की संस्कृति की इतनी-सी प्रशंसा भी इस आदमी (?) से हजम नहीं हुयी.  है न अहसान फरामोश. गद्दार भी. जिस देश का अन्न-जल ग्रहण करता है उस देश की संस्कृति को गाली देता है.

Thursday, May 20, 2010

योग्य मुस्लिम पुरुष, मुस्लिम लड़की से शादी क्यों नही करते ?


जी, चौंकिये मत! यह एक ज्वलंत प्रश्न है?

शाहरुख खान ने हिन्दू लड़की गौरी से शादी की.
आमिर खान ने भी हिन्दू लड़की रीना दत्ता से विवाह किया. रीना से तलाक के बाद दूसरा विवाह भी हिन्दू महिला किरण राव से किया.
शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे फारूख अब्दुल्ला दोनों ने अंग्रेज लड़कियों से शादी की.
जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक हिन्दू लड़की पायल से शादी की.
प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम और पूर्व केन्द्रीय मंत्री हुमायूं कबीर ने भी हिन्दू लड़कियों से विवाह रचाया.
इस तरह के असंख्य उदाहरण मिल जायेंगे.
प्रश्न है- क्या मुस्लमान लडकियाँ इतनी गयी गुजरी हैं कि योग्य मुस्लिम पुरुषों को वो एक आँख नही भाती. या फिर "लव जेहाद" को प्रोत्साहित करने के लिए ये सब किया जा रहा है


योग्य मुस्लिम लडकियाँ भी हिन्दू लड़कों से विवाह करने लगी हैं, परन्तु उन्हें अपना धर्म नही त्यागना पड़ता. अब तो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कह दिया है की हिन्दू लड़की को मुसलमान पुरुष से विवाह करने से पहले इस्लाम स्वीकार करना होगा. ऐसी स्थिति में हुआ ना "'लव जेहाद" हो सकता है. इन फिल्मी और राजनीतिज्ञों ने हिन्दू लड़कियों से विवाह करने का समाज के सामने उदाहरण रखा है. क्या इनको १० हज का पुण्य प्राप्त नही होगा और जन्नत में हूरें नही मिलेगीं. क्यों भी इन्होने भी तो वही किया है, जो मुल्ला सिखाते हैं.

Thursday, May 13, 2010

हमने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं.......

कुछ देर पूर्व एक ब्लॉग पर फ़िरदौस जी की टिप्पणी देखी. फ़िरदौस जी का कहना है-

जब हमने ब्लोगिंग शुरू की थी, उस वक़्त माहौल बहुत अच्छा था...
लेकिन, अफ़सोस है कि 'कुछ लोगों' ने ब्लॉग जगत रूपी पावन गंगा में 'गंदगी' घोल दी है...और यह दिनोदिन बढ़ रही है...
लोग ज़बरदस्ती अपने 'मज़हब' को दूसरों पर थोप देना चाहते हैं...
गाली-गलौच करते हैं... असभ्य और अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं...
किसी विशेष ब्लोगर कि निशाना बनाकर पोस्टें लिखी जाती हैं...
फ़र्ज़ी कमेंट्स किए जाते हैं...
दरअसल, 'इन लोगों' का लेखन से दूर-दूर तक का कोई रिश्ता नहीं है... जब ब्लॉग लेखन का पता चला तो सीख लिया और फिर उतर आए अपनी 'नीचता' पर... और करने लगे व्यक्तिगत 'छींटाकशी'...
'इन लोगों' की तरह हम 'असभ्य' लेखन नहीं कर सकते... क्योंकि यह हमारी फ़ितरत में शामिल नहीं है और हमारे संस्कार भी इसकी इजाज़त नहीं देते... एक बार समीर लाल जी ने कहा था... अगर सड़क पर गंदगी पड़ी हो तो उससे बचकर निकलना ही बेहतर होता है...



आज ब्लॉग जगत में जो हो रहा है, हमने सिर्फ़ वही कहा है...

यह बात सोलह आने सत्य है. कुछ लोग अपने धर्म का प्रचार करने और दूसरे धर्मों को गालियाँ देने के लिए ब्लोगिंग कर रहे हैं. दुःख और शर्म की बात तो यह भी है कि वरिष्ठ ब्लोगर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं. ऐसे ब्लोगरों को जवाब तो दिया ही जाना चाहिए, क्योंकि उनको भी पता चले कि हमने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं.