Friday, December 10, 2010

छिछोरा ब्लोगर कौन ???

छिछोरा ब्लोगर कौन ??? 
यह जानने के लिए महिला ब्लोगर्स की पोस्टें देखि जा सकती हैं.  
पहचान 
महिला ब्लोगरों के ब्लोगों पर उछल-कूद करता दिखेगा
उनकी सुन्दरता की प्रशंसा करेगा बिना कारण 
उनको  i love you कहेगा  
विशेष बात वह हिन्दू महिला ब्लोगरों को ही फँसाता है. मुस्लिम महलिया ब्लोगरों के ब्लोग पर तो वह जाता भी नही
बूझो तो जानें 

Thursday, December 2, 2010

अपनी हवस के लिए लड़कों को फंसाने वाली महिलाओं को क्या कहेंगे ?

1. अपनी हवस के लिए लड़कों को फंसाने वाली महिलाओं को क्या कहेंगे ?
2. महिलाओं को फंसाने वाले पुरुष क्या आदर्श हो सकते हैं ?
कृपया अपने अमूल्य सुझाव दें 

Sunday, November 21, 2010

महफूज अली ब्लोग जगत का हीरो जा जीरो ?

खुशदीप सहगल की पोस्ट देखने के बाद बहुत निराशा हुयी कि वरिष्ठ ब्लोगर भी इस तरह की ओछी पोस्ट लिखते हैं. कई दिन से यह प्रश्न में था कि ब्लोग जगत का नायक यानी हीरो कौन है ? क्या अब ऐसे दिन आ गए हैं कि महफूज जैसे लोग ब्लोग जगत के हीरो कहलायेंगे ?
हीरो होने का क्या पैमाना होना चाहिए ?
क्या महिलाओं के ब्लोगों पर जाकर उनसे प्रेम पींगें बढ़ाना हीरोगिरी है ?
क्या महिला ब्लोगरों के ब्लोगों पर जाकर खुलेआम I love you लिखना हीरोगिरी है ?
क्या अपने ब्लोग पर महिलाओं के बारे में यह लिखना हीरोगिरी है कि अब तक 300 महिलाओं को पटा चुके हैं ?
क्या जहां जाओ वहीं किसी न किसी महिला पर डोरे दाल लेना हीरोगिरी है ?
महफूज खुद लिखता है अपनी पोस्ट में किसी मोनिका के बारे में.
दूसरा इंसिडेंट हुआ यह कि पिछली पोस्ट लिखी थी एक्सिस बैंक के बारे में... तो एक्सिस बैंक में मोनिका नाम कि लड़की है... मुझे उसे अपनी कुछ डिटेल्ज़ मेल करनी थी... वो मैंने उसे कर दी... लेकिन हुआ क्या कि मैंने अपने जीमेल में सिग्नेचर में अपने ब्लॉग का लिंक दिया हुआ है... वो लिंक भी उसके पास चला गया...  मैं एक्सिस बैंक  मोनिका के चैंबर में पहुंचा दूसरे दिन ... तो मोनिका ने बहुत प्यार से मेरी धोयी ... वो भी बिना पानी के... उसने मेरा पहले बैंक का काम किया... फिर मुझसे मेरी हौबीज़ के बारे में बात करने लगी... मैंने बताया कि रीडिंग, राईटिंग और ट्रैवलिंग मेरी हौबी है... फिर उसने मुझसे लिट्रेचर पर भी बहुत सारी बातें की... डैन ब्राउन से लेकर ... प्रेमचंद, प्रेमचंद से लेकर मिल्टन जॉन, मिल्टन जॉन से गोर्की.. और भी बहुत सारी बातें... उसने सब्जेक्ट्स पर भी बातें की.. मैं बहुत इम्प्रेस्ड हुआ... और जब चलने को हुआ तो कहती है कि आपका ब्लॉग पढ़ा था... मेरा हाल ऐसा हुआ कि एयर-कंडीशंड कमरे में भी कान के पीछे से शर्म के मारे पसीना चू गया...   मैं वापस बैठ गया... और आधे घंटे तक उसे दुनिया भर के एक्स्प्लैनैशन देता रहा ... मेरे यह समझ में आ गया.. कि कभी भी किसी लड़की को अंडर-एसटीमेट नहीं करना चाहिए...  साला! यह सुपीरियरटी  कॉम्प्लेक्स  भी ना ... जो ना करा दे...  मोनिका समझ गयी कि मैं अब अनिज़ी फील कर रहा हूँ...  मैं वही सोचा कि बहुत बुरे तरह से मोनिका ने धो दी... लेकिन शाम में मोनिका का फ़ोन आया... हंस रही थी... .......उसने बहुत अच्छे से काम-डाउन किया... मैं जब बैंक से बाहर आया था... तो यह इंसिडेंट सबसे पहले अजित गुप्ता ममा को फ़ोन कर के बताया... ममा भी बहुत हंस रही थीं... 

फिर वही मोनिका महफूज का गुणगान (?) करती फिरती है.


खुशदीप लिखता है किसी डाक्टरनी के बारे में जिसे महफूज ने पटा लिया है.
शुरुआत करता हूं अपने महफूज़ मियां से...जनाब ने लखनऊ के संजय गांधी पीजी मेडिकल कालेज के अस्पताल में भी अपना जलवा बिखेर रखा है...डॉक्टर्स को भी अपना मुरीद बना रखा है...एक युवा डॉक्टरनी साहिबा को तो खास तौर पर...खैर ये कहानी तो महफूज़ अपने आप ही सुनाएगा...आज मैं बात करूंगा महफूज़ के अंदर छिपे रजनीकांत की...अगर न्यूटन जिंदा होते और जिस तरह रजनीकांत को फिजीक्स के सारे रूल्स तोड़ते देख खुदकुशी कर लेते, कुछ ऐसा ही आलम महफूज़ मियां का है...

अगर यह सब हीरो होने की निशानियाँ हैं तो फिर सड़क छाप मजनू किसको कहते हैं ? आप स्वंय समझदार हैं.

Monday, July 12, 2010

कुरआन में शायरी हराम क्यों कर दी गयी ?



विश्व के सभी धर्मों में कविओं को आदर से देखा जाता है .ऐसे कई कवि हुए हैं कि जिनकी रचनाये लोग धर्म ग्रन्थ की तरह मानते हैं.विश्व में जो प्रख्यात कवि हैं उनके नाम से उस देश की पहचान होती है .और लोग उन कविओं पर गर्व करते हैं 

लेकिन इस्लाम ही एक ऐसा धर्म है जो कविता या शायरी को हराम बताता है .कुरआन में शायरी करना गुनाह और हराम है .कुछ लोगों को ऐसा लगता होगा कि अल्लाह को और कोई काम नहीं है ,कि जब चाहे किसी भी चीज को कुरआन में हलाल या हराम घोषित करता रहता है .लेकिन ऎसी बात नहीं है .कुरआन के हरेक आदेश के पीछे मुहम्मद के जीवन की कोई न कोई घटना होती है .अगर हम कुरआन के साथ आयातों की तफसीरें भी पढ़ें तो पता चल जाएगा कि किसी चीज को हराम या हलाल करने के असली कारण क्या है .और इसके पीछे कौन सी घटना थी .कुरआन में शायरी को हराम करने के पीछे दो घटनाएं है .इनसे असली बात साफ़ हो जायेगी .यह घटनाएँ इस प्रकार हैं -

१-पहली घटना
मुहम्मद के दरबार में दो शायर भी थे .जिन्हें सहाबा भी कहा जाता था
.१--हस्सान बिन साबित २-मिस्तह बिन उसासा .यह सब मुहम्मद के साथी या सहाबी थे यह अबू बकर के रिश्तेदार भी थे .गरीब होने के कारण अबू बकर इनकी मदद भी करते थे .एक दी यह लोग अबू बकर के घर में बैठे थे ,तभी मुहम्मद वहां आये और एक शेर पढ़ा "कफा बिल इस्लाम वल शैब लिल मर अना हया "यानी आदमी को बदी से रोकने के लिए यातो इस्लाम काफी है ,या जईफी .

इस पर अबू बकर ने कहा ,या नबी आप गलत कह रहे हैं ,आपको इस तरह कहना
चाहिए ."कफा श्शैब वल इस्लाम लिल मर अना हया "

हस्सान बिन साबित से रवायत है कि नबी फिर भी गलत बोलते रहे.तब अबू बके ने कहा कि मैं गवाही देता हूँ ,कि न तो आपको शेर का इल्म है ,और न शेर कहना आपके बूते की बात है .
इस पर मुहम्मद ने कहा कि अल्लाह ने मुझे शायरी करना नहीं सिखाया है .
कुरआन सूरे -या सीन ३३:६९

इसी तरह हजरत अकरमा से रवायत है .वह कहते है कि मैंने आयशा से पूछा कि क्या आपने रसूल की जुबान पर कोई शेर पढ़ते सुना है तो वह बोली कि जब रसूल घर में दाखिल होते है तो यह शेर उनकी जुबान पर होता है "व्
या तीक बिल अखबार मिन्लम यरद्दद "यानी तेरे पास वह आदमी खबर लाएगा ,जिसे तू कभी रद्द नहीं करेगा .इब्ने साद .बुखारी

इस से पता चलता है कि मुहम्मद शायरी जानते थे ,लेकिन पूरी तरह से शायरी का ज्ञान नहीं था .
२- दूसरी घटना
एक बार मुहम्मद अपने काफिले के साथ मदीने की तरफ लौट रहे थे .साथ में उनकी पत्नी आयेशा भी थी ,जो ऊंट के हौदे पर थी .रास्ते में
अल बैदा नामकी वादी में काफिला आराम के लिए रुका तो ,उहम्मद की पत्नी आयशा गायब हो गयी ,और उसका एक दिन और एक रात तक कोई पता नहीं चल सका .सवेरे वह सफ़वान इब्ने अल मुत्तल के साथ पायी गयी .आयेशा ने कहा के मेरा कीमती हार खो गया था.मैं उसी को खोज रही थी.लोग समझ गयेथे कि आयेशा ने सफ़वान के साथ व्यभिचार किया था,उस समय मुहम्मद की साली हमना बिन्त जहाश भी थी.यह बात उसने सारे लोगों को बता दी..उस काफिले में कई सहाबा थे जो शायर भी थे.जैसे मितासः बिन उसासा,अब्दुल्लाह बिन अबी ,और हिस्सान बिन साबित .साबित ने तो इस घटना पर एक नज़्म भी बना दी .और जगह जगह पर लोगों को सुनाने लगा..आयेशा की पूरे मदीने में बदनामी हो गयी

इसलामी कानून के अनुसार आयशा को सफाई के लिए चार गवाह पेश करना चाहिय्र थे या अस्सी कोड़े की सजा दी जानी थी.लेकिन मुहम्मद ने न तो गवाही मांगे और न सजा दी .बल्कि कुरआन की एक आयत सुना कर सब कु चुप कर दिया और आयेशा को निर्दोष घोषित करदिया
कुरआन सूरा नूर २४;४,११

इस तरह मुहम्मद ने अपनी पत्नी को तो बचा लिया ,चूंकि शायरों ने शायरी बनाकर आयशा को बदनाम किया था.मुहम्मद शायरों के खिलाफ हो गया.और कुरआन में शायरों के बारे में लिख दिया

"
शायर जाल रचाने वाले होते है .और चुगली पर कान लगाए रखते है,अधिकतर झूठ बोलतेहैं,इनके पीछे बहके हुए लोग चलते हैं ,यह लोग शहर की गलिओं में भटकते रहते है.यह जो कहते हैं वह सब करते नहीं है ."
कुरआन सूरा अश शु अरा-२६:२२१ से २२६ तक

मुहम्मद ने यह भी कहा कि शायर शैतान के वश में रहते है.

इस तरह कुरआन में शायरी हराम कर दी गई .

Thursday, July 1, 2010

क्या औरतें स्वेच्छा से मुहम्मद के पास शादी का प्रस्ताव रखती थीं

भंडाफोडू
सब जानते हैं कि मुहम्मद के समय अरब के लोग लुटेरे,अय्याश और अत्याचारी रहे. उस समय औरतें बाजार में बिकती थी. आज भी अरब ,मिस्र की औरतें सेक्स की भूखी रहती है.और आतंकवाद में लगी रहती हैं.हिन्दा नामाकी औरत ने तो अमीर हमजा का सीना चीर कर उसका कलेजा तक चबा लिया था.इसके अलावा उस समय की अरबी औरते अनपढ़ ,अन्धविश्वासी ,और मूर्ख थीं.



खुद मुहम्मद की सारी औरतें अनपढ़ थी ,और अदिकांश विधवा थीं.इसलिए हो सकता है कि वे वासना पूर्ति के लिए ,और अपना पेट भरने के लिए मुहम्मद के पास जाती हों उन्हें डरथा कि कहीं उन्हें भी कोई लूट कर बेच न दे.




अब हम दूसरी बात पर आते हैं ,
अबू बकर की एक नौ साल की बेटी आयशा थी मुहम्मद की पहली औरत खदीजा मर चुकी थी.मुहम्मद ५४ साल का था .तभी उसकी नजर आयेशापर पड़ी.उसने अबू बकर को खलीफा बनाने का लालच दिया ,और छोटीसी आयेशा से शादी का दवाब डाला. आयेशा को शादी के बारे में ज्ञान ही नहीं था.मुहमद की दासियाँ आयेशा कु उठाकर मुहम्मद के कमरे में ले गयीं.आयेशा चिलाती रही,रोती उसकी आवाज दवाने के लिए औरतें शोर करती रही .
सही मुस्लिम-किताब८,हदीस-३३०९
बुखारी-खन्द७,हदीस -६५


जब तक मुहम्मद अपनी मन मानी नहीं कर चुका दूउसरी औरतें शोर मचाती रही ,ताकि किसी को पता नहीं चले क्या हो रहा है.
सही मुस्लिम -खंड २ हदीस ३३०९


एकबार मुसलमान मिस्र से एक १७ साल की ईसाई कुंवारी लड़की मारिया किब्तिया को लूट कर और मुहम्मद के हवाले कर दिया.मुहम्मद की नीयत खराब हो गयी .जब वह मारिया के साथ सम्भोग कर रहा था तो उसकी एक औरत हफ्शा ने देख लिया और मुहम्मद ऐसा करने का कारण पूछा.मुहम्मद ने कहा कि यहमैं अल्लाह के आदेश से कर रहा हूँ इसमे अल्लाह ने अनुमति दी है.
कुरआन-सूरा अह्जाब -३३.३७


अल्लाह ने कहा है लूट में पकड़ी गयी औरतोंसे तुम सम्भोग कर सकते हो.यह तुम्हारी संपत्ति हैं
कुरआन-सूरा निसा ४/२३-२४


इसी तरह मुहम्मद ने जिस लडके ज़ैद को बेटा मान कर उसकी शादी अपनी फूफी की लड़की जैनब से करवादी थी.और शादी के लिए सारा सामान भी दिया था.लेकिन मुहम्मद की जैनब पर भी नजर पद गयी जब वह घर में कपडे धो रही थी. मुहम्मद ने ज़ैद को डराया और जैनब से तलाक देने को कहा




कुरआन -सूरा अहजाब ३३.३७
मुहम्मद ने कहा कि यह इसलिए कर रहा हूँ कि अल्लाह चाहता है कि मुझे औरतों की तंगी नहीं रहे चाहे वह चाचा , मामा .फूफू कि बेटी ,या दत्तक पुत्र की पत्नी ही हो

Wednesday, June 23, 2010

मुस्लिम नारी कितनी बेचारी

भंडाफोडू से साभार
अपने देखा होगा कि जब ट्रेन में किसी आदमी को बिना टिकट पकड़ा जाता है, तो वह अपने बचाओ में यही दलीलें देता है कि ,मैं अकेला ही गाड़ी में बिना टिकट नहीं हूँ ,और भी हैं ,सिर्फ मुझे ही क्यों पकड़ा जा रहा है .लेकिन किसी दूसरे की गलतियां बताकर कोई भी खुद को निर्दोष सिद्ध नही कर सकता .एक दुसरे पर कीचड़ डालने पहिले देख लें कि कही आप खुद तो गंदे नहीं हो रहे हैं .छाहे वह हिन्दू हों या कोई और.पहिले अपने कपडे साफ़ कर लीजिये .मेरी कल कि पोस्ट पर कमेन्ट में मुझ से ११ सवाल पूछे गए ,मैं उनके उत्तर दे रहा हूं


१-हिन्दू नारी कितनी बेचारी

नारी को बेचारी कहते तो ठीक होता ,लेकिन हिन्दू नारी उतनी बेचारी कभी रही ,जितनी मुहम्मद की पुत्री फातिमा थी.जब अबू बकर और ऊमर ने अपने लोगों के साथ फातिमा के घर पर हमला करके घर में घुसने की कोशिश की थी .जब फातिमा ने दरवाज़ा बंद करना चाहा तो इन दौनों ने फातिमा को दरवाजे की किवाड़ से इतनी जोर से दवाया कि उसकी पसलियाँ टूट गयीं ,और उसके गर्भ का बच्चा भी मर गया था .मुहम्मद ने खुद उस होने वाले बच्चे का नाम मुहसिन रखा था


हिन्दू नारी हुसैन की बहिन की तरह बेचारी कभी नहीं रही ,जब यजीद की फौजों ने जैनब को बेपर्दा करके सारे शहर में घुमाया था .और कैद किया था. और जैनब को हुसैन का कटा हुआ सर देखते ही जैनब मर गयी थी .इसी तरह हिन्दू नारी सकीना कि तरह बेचारी कभी नहीं रही जब यजीद के लोगों ने हुसैन की छोटी सी बच्ची सकीना को रस्सी से बाँध कर रास्ते भर घुमाया था .और शुमर नामका आदमी रास्ते भर सकीना को तमाचे मारता रहा था .बेचारी बच्ची रो रोकर पानी मांगती रही और आखिर मर गयी .यह काम करने वाले अबू बकर और ऊमर मुहम्मद के सहाबा थे .और कलमा पढ़ते थे .नारी को बेचारी तो इस्लाम ने बना रखा है .हिन्दू नारियां आज भी आज़ाद हैं .

२-क्या दयानंद को हिन्दू संत कहा जा सकता है?

बिलकुल नहीं,वे हिन्दू संत नहीं धर्म सुधारक थे .उन्होंने पाखंडी लोगों की पोल खोल दी थी ,और हिन्दुओं को ईसाई और मुसलमान बनाने से बचाया था.

३-कौन कहता है अल्लाह ईश्वर एक है

कुरआन कहता है ,एक नहीं दो हैं "इलाहुना व् इलाहुकुम "यानी मेरा खुदा और तुम्हारा खुदा .इससे सिद्ध होता है कि दौनों अलग हैं

४- क्या कहेंगे अल्लोपनिषद को न मानने वाले

वेदों के कई उपनिषद् और शाखाएं है कुरआन की सूरतों कीतरह कुछ बड़ी हैं ,कुछ छोटी .इसी तरह एक अरबोपनिषद भी है अगर मुसलमान अरबोपनिषद को स्वीकार कर लेंगे तो हिन्दू भी अल्लोपनिषद को कबूल कर लेंगे.अरबोपनिषद अगली पोस्ट में दिया जाएगा

५- गर्भाधान आर्यों का नैतिक सूचकांक

गर्भाधान की परंपरा अल्लाह के नबी लूत से शुरू हुई .लूत ने अपनी दौनों लड़कियों का गर्भाधान किया था.बाद में उसी गर्भाधान से यहूदिओं और मुसलमानों की नस्लें पैदा हुयीं .तौरेत -उत्पत्ति -१९:३२ से ३६

६- आत्महत्या में हिन्दू युवा अव्वल क्यों

मुसलमानों को देखकर ,मुस्लिम युवा आत्मघाती बोम्बर क्यों बन रहे हैं .अबतो मुस्लिम लड़कियां और बच्चे भी आत्मघाती बोम्बर बन रहे है .परेशान होकर मुल्ले इसके खिलाफ फतवे दे रहे हैं .

७-इंद्र ने कृष्ण नामके राजा की गर्भवती स्त्रियों की हया की थी

यह तो काफी पुरानी बात है .सूरा ३३:२६ के अनुसार मुहम्मद ने सन ६२७ में बनी कुरैजा के ९०० लोगों की ह्त्या करवाई थी .जिसमे मर्दों के साथ गर्भवती औरतें और बच्चे भी थे.मुहम्मद ने अपने आदमियों के साथ एक एक करके सबको क़त्ल करवाया था.सिर्फ दो सुन्दर औरतों को अपने लिए रख लिया था .१.सफीया बिन्त हुवय्या २ रेहाना बिन्त जैद.एक तरफ मुहामद के लोग इन औरतों के पतिओं को क़त्ल कर रहे थे तो दूसरी तरफ मुहम्मद इन औरतों के साथ शादी कर रहा था .यही कारण है की मुहम्मद के वंश का नाश हो गया

८-गायत्री को वेदमाता क्यों कहा जाता है? क्या वह कोई औरत है

ज़रा थोड़ा हदीसों को पढ़िए .शराब को उम्मुल खाबायिस क्यों कहा यानी बुराइयों की माँ,और और दुख्तरे ऱज यानी अंगूर की बेटी क्यों कहते हैं जब शराब बेटी और माँ हो सकती है ,तो गायत्री माँ क्यों नही हो सकती है ,दौनों औरत नहीं हैं

९- हिन्दू नारीओं को पुत्र प्राप्ती के लिए वीर्यदान के लिए कौन मजबूर करता है

आप अजमेर में कुछ दिन देखो ,वहां दरगाह के खादिम और मुजाविर मुस्लिम औरतों को वीर्यदान दे रहे है की नही .जब औरते अपना पेट फुलाकर घर आती हैं ,तो कहती हैं यह ख्वाजा का करम है .

१० -आर्य नारी को बेवफा क्यों कहा जाता है

इस्लाम की तरह जूतियाँ तो नहीं कहा जाता.इमाम हसन की औरत तो आर्य नही थी .उसने अपने पति को जहर क्यों दिया था

११- लंका दहन में हनुमान ने मंदिर को टूटने से बचाना क्यों नही समझा

शायद वह कुछ देर के लिए मुसलमान बन गया होगा .नाम से ही लगता है ,लुकमान ,उसमान ,रहमान ,हनुमान

अरे मेरे भाई मंदिर का एक अर्थ मकान भी होता है .उर्दू पढ़ने सब उलटा समझ में आता है

Sunday, June 20, 2010

happy draw mohammed day का विरोध करें

मुस्लमान हमारे पूज्य देवी-देवता के अश्लील चित्र बनायें. उनके बारे में अपशब्द बोलें,परन्तु हम इनके रसूल के चित्र बनाने वालों का विरोध करेंगे, क्योंकि हमारा खून इनकी तरह गंदा नहीं. ये जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं. विश्वभर में रसूल की ड्राइंग बनाने पर बल दिया जा रहा है. आओं मिलकर इसका विरोध करें


happy draw mohammed day
Link
Bare Naked Islam

Thursday, June 17, 2010

जो लोग मुसलमान नहीं बनते थें उनके शरीर में कीलें ठोककर एवं कुत्तों से नुचवाकर मरवा दिया जाता था

साभार राहुल पंडित गुरु नानक देव जी





 

मुसलमान सैय्यद , शेख , मुगल पठान आदि सभी बहुत निर्दयी हो गए हैं । जो लोग मुसलमान नहीं बनते थें उनके शरीर में कीलें ठोककर एवं कुत्तों से नुचवाकर मरवा दिया जाता था ।

नानक प्रकाश तथा प्रेमनाथ जोशी की पुस्तक पैन इस्लाममिज्म रोलिंग बैंक पृष्ठ ८०


Monday, June 14, 2010

मुसलमानों का नया रसूल : मौलाना कदीर





मुसलमान मुहम्मद को आखिरी रसूल मानते हैं.और कहते हैं किभविष्य में कोई रसूल या पैगम्बर नहीं आयेगा ,और न अल्लाह कोई नया रसूल भेजेगा


रसूल शब्द अरबी के र स ल शब्द से बना है जिसका अर्थ है भेजा गया ,या जिसे भेजा गया हो. इसलिए मुसलमान मुहम्मद को अल्लाह के द्वारा भेजा गया व्यक्ति मानते हैं,जो अल्लाह के आदेशों का पालन करे और लोगों से करवाए..जो भी मुहम्मद के बाद रसूल होने की बात करता है मुसलमान उसे काफिर घोषित कर देते है.मुस्लिम देशों में इसकी सजा म्रत्युदंड दी जाती है .


लेकिन पिछले चुनाव में महाराष्ट्र के संभाजी नगर से राष्ट्रीय कांग्रेस के उमीदवार मौलाना कदीर ने अपने चुनावी पर्चों में कहा कि अल्लाह ने मुझे भेजा है, ताकि मैं हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दूँ .यह पर्चे सारे औरंगाबाद में बांटे गयी और चिपकाए गए थे..पर्चे का पूरा मजमून इस प्रकार है -


"अमानुल्ला का ज़माना फिर से लाना है ,हिन्दुओं का नामोनिशान मिटाना है ,मुझे अल्लाह ने भेजा है ,और्ग की जमीन पर चाँद सितारा लहराना है "


हे इमां वालो आपको आगाह किया जाता है कि मैं सय्यद अब्दुल कादिर मौलाना कांग्रेस राष्ट्रवादी पार्टी की ओर से १०७ औरंगाबाद मध्य के उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव में खडा हूँ,आप बखूबी जानते हैं कि ईमानवालों की हिफाजत के लिए मेरे जैसे उम्मीदवार की सख्त जरूरत है .इसलिए वो मुसलमानों की हिफाजत करे और उनके हुकूक का ख्याल करे.मेरे कामों से आप लोग वाकिफ हैं.इसलिए मैं तहे दिल से आपसे दरख्वास्त करता हूँ कि आप मुझे ही अपना कीमती वोट दें.


मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि इस्लाम पर गैर मुसलमानों की तरफ से जो मुसीबातें आन पड़ती हैं उसका मुकाबला करने के लिए और अपनी ताकत बढ़ने के लिए आप मेरी गुजारिश का ख्याल करके किसी दूसरे को वोट देने की गलती न करें."


बड़े ताजुब की बात यह है कि इस पर्चे को पढ़ कर मुसलमान चुप बैठे रहे.क्योंकि अगर किसी हिन्दू ने ऐसा पर्चा बांटा होता तो मुसलमान जमीन आसमां एक करा देते.इसमे हिन्दुओं को मिटाने बात है .मुसलमान यही तो चाहते है .वे तो सिर्फ हिदुओं पर भद्काऊ भाषण देने के आरोप लगाने के आदी हैं आजकल उनके साथ औरतें भी शामिल हो गयीं हैं .जो अपने ब्लोगों में हिन्दुओं पर अनापशनाप आरोप लगाती रहतीं हैं.


और कोई प्रगतिशील महिला इन कट्टर लोगोंके खिलाफ लिखती हैं सारे तालिबानी विचार वाले उसके खिलाफ लाम बंद हो जाते हैं


लेकिन कोई सच्चाई का मुंह बंद कर सकता

Wednesday, June 9, 2010

इस्‍लाम का संदेश - आतंक मचाओ हूर मिलेगी

साभार महाशक्ति

 इस्‍लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है यह मेरा कहना नही है किन्‍तु जब इस्‍लाम से सम्‍बन्धित ग्रंथो का आध्‍ययन किया जाये तो प्रत्‍यक्ष रूप ये यह बात सामने आ ही जाती है। कि घूम फिर कर अल्‍लाह को खुश करने के लिये जगह पर आंतक फैलाने और उनके अनुयायियों खुश करने के लिये सेक्‍स की बात खुल कर कही जाती है।




इस्लाम के पवित्र योद्धाओ (आतंकियो) को यौन-सुखों और भोगविलास के असामान्य विशेषाधिकार दिए गए हैं। यदि वे लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं तो उनके लिए गैर-मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप में सुनिश्चित हो जाती हैं। लेकिन यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं तो वे हूरियों से भरे 'जन्नत' के अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण में निश्चित रूप से प्रवेश के अधिकारी हो जाते हैं। अल्‍लाह को खुश करने के लिये कई जगह मुर्तिपूजको तथा गैर-मुसलमानों की संहार योजना में भाग लेने के बदले में यौन-सुखों के प्रलोभनों का वायदा किया जाता है जैसे कि



यदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध भूमि की कठिन परिस्थितियों मारा गया तो उसे 'जन्नत' में उसकी प्रतीक्षा कर रहीं अनेक हूरों के साथ असीमित भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद मिलेगा, और यदि वह जीवित बचा रहा तो उसको 'गैर-ईमान वालों' के लूट के माल, जिसमें कि उनकी स्त्रियाँ भी शामिल होंगी, में हिस्सा मिलेगा।


इन आतंकियो को कितनी अच्‍छी तरह से हूरो का लालच दे कर बरगलाया जा रहा है हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य के वर्णन इस प्रकार है




•हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है जिसका शरीर पारदर्शी होता है। उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इसी प्रकार दिखाई देता है जैसे रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ दिखती हैं। वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की भाँति दिखाई देता है।


•उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, मल व मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है।


•प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है। उसके उरोज उन्नत, गोल और बडे होते हैं जो झुके हुए नहीं हैं। हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं।


•हूर यदि 'जन्नत' में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है।


•हूर का मुख दर्पण से भी अधिाक चमकदार होता है, तथा उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है। उसकी हड्डियों का द्रव्य ऑंखों से दिखाई देता है।


•प्रत्येक व्यक्ति जो 'जन्नत' में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएँगी। जब वह 'जन्नत' में प्रवेश करता है, मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो, वहाँ तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी।
 
अब भई अब जब हूर इतनी खूब होगीं तो कोई क्‍यो न अल्‍लाह के लिये मरने को तैयार होगा, इन आतंकियो का यही मकसद होता है कि घरती पर उनके विलास के लिये अल्‍लाह द्वारा दिया गया मसौदा तो तैयार ही है और जन्‍नत में भी हूरे उनका इन्‍जार कर रही है। सोने पर सुहागा




हदीस तिरमिज़ी खंड-2 (पृ.138) करती है कि ''जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर कामशक्ति दी जाएगी'' :) जैसे जन्‍नत में थोक के भाव वियाग्रा की फैक्‍ट्री लगी है। क्या इसके बाद भी यौन-सुखों के लिए आकर्षित करने वाले प्रलोभनों और प्रमाणों को देने की आवश्यकता रह जाती है जो कि इस्लाम अपने जिहादी योद्धाओ को प्रेरित करने के लिए प्रस्तुत करता है?

Monday, May 31, 2010

श्रीरामचरितमानस पढ़ो, श्रीराम के आदर्श अपनाओ

श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचा एक महाकाव्य है। श्री रामचरित मानस भारतीय संस्कृति मे एक विशेष स्थान रखती है। उत्तर भारत में रामायण के रूप में कई लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। श्री राम चरित मानस में श्री राम को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में दर्शाया गया है जब कि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। शरद नवरात्रि में इस के सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है।






रामचरित मानस १५वीं शताब्दी के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा लिखा गया महाकाव्य है। जैसा कि तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के बालकाण्ड में स्वयं लिखा है कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना का आरंभ अयोध्यापुरी में विक्रम संवत १६३१ (१५७४ ईस्वी) के रामनवमी, जो कि मंगलवार था, को किया था। गीताप्रेस गोरखपुर के श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के अनुसार रामचरितमानस को लिखने में गोस्वामी तुलसीदास जी को २ वर्ष ७ माह २६ दिन का समय लगा था और संवत् १६३३ (१५७६ ईस्वी) के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाह के दिन उसे पूर्ण किया था. इस महाकाव्य की भाषा अवधी है जो कि हिंदी की ही एक शाखा है। रामचरितमानस को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। रामचरितमानस को सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसी कृत रामायण' भी कहा जाता है।






रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचन्द्र, जिन्हें कि केवल राम भी कहा जाता है, के निर्मल एवं विशद् चरित्र का वर्णन किया है। महर्षि वाल्मीकि रचित संस्कृत रचना रामायण को रामचरितमानस का आधार माना जाता है। यद्यपि रामायण और रामचरितमानस दोनों में ही राम के चरित्र का वर्णन है परंतु दोनों ही महाकाव्यों के रचने वाले कवियों की वर्णन शैली में उल्लेखनीय अंतर है। जहाँ वाल्मीकि ने रामायण में राम को केवल एक सांसारिक व्यक्ति के रूप में दर्शाया है वहीं तुलसीदास ने रामचरितमानस में राम को भगवान विष्णु का अवतार माना है।



रामचरितमानस को तुलसीदास ने सात काण्डों में विभक्त किया है। इन सात काण्डों के नाम हैं - बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड और उत्तरकाण्ड। छन्दों की संख्या के अनुसार अयोध्याकाण्ड और सुन्दरकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में हिंदी के अलंकारों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है विशेषकर अनुप्रास अलंकार का। रामचरितमानस पर प्रत्येक हिंदू की अनन्य आस्था है और इसे हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ माना जाता है।

साभार

Saturday, May 29, 2010

एक इस्लामिक आतंकी का इंटरव्यू, (B.B.C. Hindi Website से)


(भारतीय कश्मीर का है ये आतंकी, अमजद बट)
मुझे अल्लाह और अल्लाह के रसूल की बातें बताईं. मैंने सुन कर कहा कि ये लोग तो बिल्कुल ठीक बातें करते हैं. मुझे भी अल्लाह और अल्लाह के रसूल के हुकुमों पर चलना चाहिए. फिर मैं उनके साथ चला गया. मैं उनके साथ अफ़ग़ानिस्तान चला गया जहां एक सूबे में हमारी ट्रेनिंग हुई. हम तीन आदमी थे. अजमल बट, अलक़मा भाई और तीसरा मैं यानी अमजद बट. अलक़मा भाई कश्मीर में शहीद हो गए. हम तीन लड़के जब उधर गए तो हमारे ख़ानदान के सारे लड़के कहने लगे कि ये लोग तो अल्लाह के रास्ते पर निकल गए हम कहीं उनसे पीछे न रह जाएं.
हमारे जाते ही हमारे गांव के 50 लड़के हमारे पीछे आ गए जिनमें कई मेरे ख़ानदान के अलावा कई और बिरादरी के लोग भी शामिल थे. पूरे गांव के 50 लोगों ने जाकर सूबा कूनन में ट्रेनिंग ली. हम वहां से कश्मीर चले गए और फिर वहां हमें बॉर्डर कार्रवाई का सौभाग्य मिला.
हमने रॉकेट फ़ायर किए जिनमें सात हिंदू मरे थे. हमारी (पाकिस्तानी) फ़ौज का काम है कि वह उन्हें रोके. जब वह नहीं रोकती है तो हमें रोकना पड़ता है”.

क्या इस्लाम हिंदुओं और गैर इस्लामिकों का कत्ल करना है???
क्या इस्लाम सिर्फ़ दहसतगर्दी है???
क्या इस्लाम मे मुल्कपरस्ति (माँ) नही है???
क्या यही इस्लाम है, अल्लाह है???

संपूर्ण विश्व इस इस्लामिक आतंकवाद से त्रस्त हो गया है और इसे देखने से यही लगता है कि आतंकवाद हीं इस्लाम है|
अब समय आ गया है क़ि हिंदू भी अपनी मातृभूमि एवम् हिंदुत्व की रक्षा के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण को छोड़ें| जब ये खुलेआम हिंदुओं को मरने की बात करतें है तो हम क्यों नही? हमें अपनी एवम् अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए खुद आगे आना होगा, देश के राजनेता अपनी सत्ता बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है| आज़ादी से लेकर आज तक हिन्दुस्तान की इस हालात के लिए इनकी और हमारी मुस्लिम तुस्टिकरण ही जम्मेदार है, नही तो अखंड भारत के तरफ देखने की ताक़त किसी मे नही होती|

मैं गर्व से कहता हूँ क़ि हिंदू हूँ, कोई उग्रवादी नही| हमें देशभक्ति आती है गद्दारी नही|

Friday, May 28, 2010

मंगल भवन अमंगल हारी

गाना : मंगल भवन अमंगल हारी
फिल्म गीत गाता चल
संगीतकार रविन्द्र जैन
गीतकार रविन्द्र जैन
गायक जसपाल सिंह


मंगल भवन अमंगल हारी

द्रबहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम \- २


हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी

हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू

हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी



रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम


हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
http://www.youtube.com/watch?v=JLNUCg2M0LA

Wednesday, May 26, 2010

मुसलमान जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं-उदाहरण देखिये

मुसलमान जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं-उदाहरण देखिये


चौंकिए मत!
आज ब्लोग्वानी पर एक पोस्ट देखी, जिसमें एक मुस्लिम महिला ब्लोगर की आलोचना की गयी है. इस महिला ब्लोगर ने अपने किसी लेख में हिन्दू धर्म की प्रशंसा में लिख दिया था कि जहां नारी की पूजा होती है वहाँ देवता वास करते हैं.



जिस थाली में खाता है, उसी में छेद करता है. मुसलमानों को प्रवृति ही ऐसी है देशद्रोही वाली.  


आश्चर्य की बात यह भी है कि यह वही महिला ब्लोगर है जिसने जागो हिन्दू जागो की पोस्ट पर जाकर ब्लॉग के स्वामी से मुहम्मद का कार्टून हटवाने की विनती की थी. इस्लाम के ठेकेदार और देश के गद्दार इस आदमी (?) का इतना साहस नही हुआ कि मुहम्मद के कार्टून का विरोध करते हुए एक शब्द भी बोलता. यहं इसे साँप सूंघ गया.


यह महिला ब्लोगर की महानता है कि उसने मुहम्मद का कार्टून हटवाने की विनती की. इतना ही नही ब्लॉग के स्वामी सुनील दत्त जी ने भी महिला ब्लोगर की विनती का मान रखते हुए मुहम्मद का कार्टून हटा लिया.

कोई मुसलमान हिन्दू धर्म की प्रशंसा कर दे तो इनको सहन तक नही होता और ये हमारे देवी-देवताओं के अश्लील चित्र बनायें तो कुछ नही.  हिन्दू धर्म के लोगो अब तो जाग जाओ!

 
इस आदमी (?) के मजहब के संस्थापक के चरित्र को बताती पोस्ट देखिये.
मुहम्मद अपनी औरतों को नहीं मारते थे ?
क्या औरतें स्वेच्छा से मुहम्मद के पास शादी का प्रस्ताव रखती थीं.

 



जिस देश में यह व्यक्ति रहता है, उसी देश की संस्कृति की इतनी-सी प्रशंसा भी इस आदमी (?) से हजम नहीं हुयी.  है न अहसान फरामोश. गद्दार भी. जिस देश का अन्न-जल ग्रहण करता है उस देश की संस्कृति को गाली देता है.

Thursday, May 20, 2010

योग्य मुस्लिम पुरुष, मुस्लिम लड़की से शादी क्यों नही करते ?


जी, चौंकिये मत! यह एक ज्वलंत प्रश्न है?

शाहरुख खान ने हिन्दू लड़की गौरी से शादी की.
आमिर खान ने भी हिन्दू लड़की रीना दत्ता से विवाह किया. रीना से तलाक के बाद दूसरा विवाह भी हिन्दू महिला किरण राव से किया.
शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे फारूख अब्दुल्ला दोनों ने अंग्रेज लड़कियों से शादी की.
जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक हिन्दू लड़की पायल से शादी की.
प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम और पूर्व केन्द्रीय मंत्री हुमायूं कबीर ने भी हिन्दू लड़कियों से विवाह रचाया.
इस तरह के असंख्य उदाहरण मिल जायेंगे.
प्रश्न है- क्या मुस्लमान लडकियाँ इतनी गयी गुजरी हैं कि योग्य मुस्लिम पुरुषों को वो एक आँख नही भाती. या फिर "लव जेहाद" को प्रोत्साहित करने के लिए ये सब किया जा रहा है


योग्य मुस्लिम लडकियाँ भी हिन्दू लड़कों से विवाह करने लगी हैं, परन्तु उन्हें अपना धर्म नही त्यागना पड़ता. अब तो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कह दिया है की हिन्दू लड़की को मुसलमान पुरुष से विवाह करने से पहले इस्लाम स्वीकार करना होगा. ऐसी स्थिति में हुआ ना "'लव जेहाद" हो सकता है. इन फिल्मी और राजनीतिज्ञों ने हिन्दू लड़कियों से विवाह करने का समाज के सामने उदाहरण रखा है. क्या इनको १० हज का पुण्य प्राप्त नही होगा और जन्नत में हूरें नही मिलेगीं. क्यों भी इन्होने भी तो वही किया है, जो मुल्ला सिखाते हैं.

Thursday, May 13, 2010

हमने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं.......

कुछ देर पूर्व एक ब्लॉग पर फ़िरदौस जी की टिप्पणी देखी. फ़िरदौस जी का कहना है-

जब हमने ब्लोगिंग शुरू की थी, उस वक़्त माहौल बहुत अच्छा था...
लेकिन, अफ़सोस है कि 'कुछ लोगों' ने ब्लॉग जगत रूपी पावन गंगा में 'गंदगी' घोल दी है...और यह दिनोदिन बढ़ रही है...
लोग ज़बरदस्ती अपने 'मज़हब' को दूसरों पर थोप देना चाहते हैं...
गाली-गलौच करते हैं... असभ्य और अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं...
किसी विशेष ब्लोगर कि निशाना बनाकर पोस्टें लिखी जाती हैं...
फ़र्ज़ी कमेंट्स किए जाते हैं...
दरअसल, 'इन लोगों' का लेखन से दूर-दूर तक का कोई रिश्ता नहीं है... जब ब्लॉग लेखन का पता चला तो सीख लिया और फिर उतर आए अपनी 'नीचता' पर... और करने लगे व्यक्तिगत 'छींटाकशी'...
'इन लोगों' की तरह हम 'असभ्य' लेखन नहीं कर सकते... क्योंकि यह हमारी फ़ितरत में शामिल नहीं है और हमारे संस्कार भी इसकी इजाज़त नहीं देते... एक बार समीर लाल जी ने कहा था... अगर सड़क पर गंदगी पड़ी हो तो उससे बचकर निकलना ही बेहतर होता है...



आज ब्लॉग जगत में जो हो रहा है, हमने सिर्फ़ वही कहा है...

यह बात सोलह आने सत्य है. कुछ लोग अपने धर्म का प्रचार करने और दूसरे धर्मों को गालियाँ देने के लिए ब्लोगिंग कर रहे हैं. दुःख और शर्म की बात तो यह भी है कि वरिष्ठ ब्लोगर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं. ऐसे ब्लोगरों को जवाब तो दिया ही जाना चाहिए, क्योंकि उनको भी पता चले कि हमने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं.

Tuesday, April 27, 2010

वन्दे मातरम्





वंदे मातरम् भारत का राष्ट्रगीत है। बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन 1882 में उनके उपन्यास ‘आनंद मठ’ में अंतर्निहित गीत के रूप में हुआ। इस उपन्यास में यह गीत कुछ संन्यासीयों द्वारा गाया गया है। इसकी धुन जदुनाथ भट्टाचार्य ने बनाई है। 2003 में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण मे जिसमे अब तक के दस सबसे मशहूर गानो का चयन करने के लिए दुनिया भर से लगभग 7000 गीतों को चुना गया था, और बीबीसी के अनुसार, 155 देशों/द्वीप के लोगों ने इसमे मतदान किया था, वंदे मातरम् शीर्ष के 10 गीतों में दूसरे स्थान पर था।



वन्दे मातरम्

सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।

तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि
मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्
वन्दे मातरम् ।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलां
सुजलां सुफलां मातरम्
वन्दे मातरम् ।

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां
धरणीं भरणीं मातरम्
वन्दे मातरम् ।।