Thursday, May 13, 2010

हमने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं.......

कुछ देर पूर्व एक ब्लॉग पर फ़िरदौस जी की टिप्पणी देखी. फ़िरदौस जी का कहना है-

जब हमने ब्लोगिंग शुरू की थी, उस वक़्त माहौल बहुत अच्छा था...
लेकिन, अफ़सोस है कि 'कुछ लोगों' ने ब्लॉग जगत रूपी पावन गंगा में 'गंदगी' घोल दी है...और यह दिनोदिन बढ़ रही है...
लोग ज़बरदस्ती अपने 'मज़हब' को दूसरों पर थोप देना चाहते हैं...
गाली-गलौच करते हैं... असभ्य और अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं...
किसी विशेष ब्लोगर कि निशाना बनाकर पोस्टें लिखी जाती हैं...
फ़र्ज़ी कमेंट्स किए जाते हैं...
दरअसल, 'इन लोगों' का लेखन से दूर-दूर तक का कोई रिश्ता नहीं है... जब ब्लॉग लेखन का पता चला तो सीख लिया और फिर उतर आए अपनी 'नीचता' पर... और करने लगे व्यक्तिगत 'छींटाकशी'...
'इन लोगों' की तरह हम 'असभ्य' लेखन नहीं कर सकते... क्योंकि यह हमारी फ़ितरत में शामिल नहीं है और हमारे संस्कार भी इसकी इजाज़त नहीं देते... एक बार समीर लाल जी ने कहा था... अगर सड़क पर गंदगी पड़ी हो तो उससे बचकर निकलना ही बेहतर होता है...



आज ब्लॉग जगत में जो हो रहा है, हमने सिर्फ़ वही कहा है...

यह बात सोलह आने सत्य है. कुछ लोग अपने धर्म का प्रचार करने और दूसरे धर्मों को गालियाँ देने के लिए ब्लोगिंग कर रहे हैं. दुःख और शर्म की बात तो यह भी है कि वरिष्ठ ब्लोगर इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं. ऐसे ब्लोगरों को जवाब तो दिया ही जाना चाहिए, क्योंकि उनको भी पता चले कि हमने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं.

1 comment:

  1. आप की बात तो एकदम सही है पर ऐसे लोग हमीं से तो बढावा पा रहे हैं । इनका यदि बहिस्‍कार कर दिया जाए तो ये स्‍वत: सुधर जाएंगे ।

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