शाहरुख खान ने हिन्दू लड़की गौरी से शादी की.
आमिर खान ने भी हिन्दू लड़की रीना दत्ता से विवाह किया. रीना से तलाक के बाद दूसरा विवाह भी हिन्दू महिला किरण राव से किया.
शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे फारूख अब्दुल्ला दोनों ने अंग्रेज लड़कियों से शादी की.
जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक हिन्दू लड़की पायल से शादी की.
प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम और पूर्व केन्द्रीय मंत्री हुमायूं कबीर ने भी हिन्दू लड़कियों से विवाह रचाया.
इस तरह के असंख्य उदाहरण मिल जायेंगे.
प्रश्न है- क्या मुस्लमान लडकियाँ इतनी गयी गुजरी हैं कि योग्य मुस्लिम पुरुषों को वो एक आँख नही भाती. या फिर "लव जेहाद" को प्रोत्साहित करने के लिए ये सब किया जा रहा है
योग्य मुस्लिम लडकियाँ भी हिन्दू लड़कों से विवाह करने लगी हैं, परन्तु उन्हें अपना धर्म नही त्यागना पड़ता. अब तो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कह दिया है की हिन्दू लड़की को मुसलमान पुरुष से विवाह करने से पहले इस्लाम स्वीकार करना होगा. ऐसी स्थिति में हुआ ना "'लव जेहाद" हो सकता है. इन फिल्मी और राजनीतिज्ञों ने हिन्दू लड़कियों से विवाह करने का समाज के सामने उदाहरण रखा है. क्या इनको १० हज का पुण्य प्राप्त नही होगा और जन्नत में हूरें नही मिलेगीं. क्यों भी इन्होने भी तो वही किया है, जो मुल्ला सिखाते हैं.
आपका ऋतिक रौशन के बारे में क्या कहना है...उन्होंने एक मुस्लिम लड़की से शादी की..किशोर कुमार ने मधुबाला से की थी...सुनील दत्त ने नर्गिस से ..उनके बेटे ने भी मुस्लिम लड़की, से की...और भी कई उदाहरण हैं...
ReplyDeleteek bahut bada prashna hai!
ReplyDelete@rashmi ravija
ReplyDeleteयोग्य मुस्लिम लडकियाँ भी हिन्दू लड़कों से विवाह करने लगी हैं
sanjy datt ne manyta ,
ReplyDeleteसीधा जबाब ये है कि जब वे भी (चाहे लड़का हो या लडकी )
ReplyDeleteअच्छे स्कूलों से पढ़ लिख जाते है तो इस बात को समझने लगते है कि इस दुनिया में नालायको की कोई कद्र नहीं !
और धर्म भी
ReplyDeleteएक कॉमन फैक्टर यह है कि यह रूढि उन्हीं लोगों ने तोड़ी है जो आर्थिक रूप से असामान्य रूप से सक्षम हैं।
ReplyDeleteहाँ....कर रही हैं...और मुस्लिम लड़कों से भी..जब साथ में काम करते हैं,मिलते जुलते हैं तो यह नहीं देखते वह हिन्दू है या मुस्लिम...जिनका साथ अच्छा लगता है..जीवनसाथी बना लेते हैं...उनकी जाति नहीं देखते
ReplyDeleteयोग्य मुस्लिम?
ReplyDeleteइस से आपका क्या अभिप्राय है?
वैसे सवाल में जवाब है,जवाब में सवाल है,
कुछ ना कहे तो गलत कहे तो बवाल है......
कुंवर जी,
हमारे एक परिचित (मुस्लिम) हैं... उन्होंने एक हिन्दू महिला से शादी की है... एक रोज़ इसी तरह की बात चली तो हमने उनसे इस बारे में पूछ लिया...उनका कहना था कि हर क़ाबिल लड़का, क़ाबिल पत्नी चाहता है...कोई 'मुल्लानी' नहीं...
ReplyDeleteएक ही एक और मुस्लिम परिचित का कहना था कि वो भी किसी हिन्दू लड़की से शादी करना पसंद करेंगे...वजह, वो बुर्क़ा पहनने वाली महिला के साथ अपनी ज़िन्दगी नहीं गुज़ार सकते, क्योंकि जो महिला अपने हक़ के लिए आवाज़ न उठा सके वो ज़िन्दगी के मुश्किल वक़्त में उनका साथ क्या देगी...?
ख़ैर, इस मामले में मुस्लिम मर्द (मुल्ला नहीं) ही बेहतर राय दे सकते हैं...
मेरा एक दोस्त है फज़ल खान, वो iit का स्नातक है, उसके शादी के लिए उसके मा बाप बहुत दिनों तक परेशान रहे क्यों मुस्लिम समुदाय से उनको कोई उसके स्तर कि पढ़ी लिखी लड़की नहीं मिल रही थी , ऐसा भी है कि मुस्लिम लडकिया हिन्दू लड़के से भी शादी कर लेती है . ढेर सारे उदहारण है .मै रश्मि रविजा जी से सहमतहूँ.
ReplyDeleteअसल मे जिस के मन को जो भा जाए वही उसकी पसंद बन जाती है....मुझे नही लगता कि इन मे से किसी ने भी यह सोच कर शादी की होगी कि वह किस मजहब या धर्म से सबंध रखते हैं..
ReplyDeleteढोंगी कभी सच्चा काम कर ही नहीं सकता /
ReplyDeleteFirdaus or Ashish ki baat men dam lagta hai..
ReplyDelete@kunwarji's
ReplyDeleteयोग्य से अभिप्राय है उन मुसलमानों से जो पढ़े-लिखे हैं, परन्तु जाहिल नहीं हैं
मेरे विचार से तो शादी करने के लिए अपनी पसंद के साथ ही साथ जो बात सबसे अहम् है वह है माँ-बाप की पसंद. उन्ही की वजह से हम इस काबिल होते हैं, कोई हमें पसंद कर सके. और अपने क्षणिक आकर्षण के कारण उनकी ही बदनामी का कारण बन जाना किसी भी तरह जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है. जहाँ तक शादी के लिए धर्म परिवार का सवाल है, तो इस पर मेरा विचार एकदम सीधा सा है, यह की यह एक बहुत ही गलत बात है. शादी के लिए धर्म परिवर्तन केवल दिखावा है, धर्म का रिश्ता आस्था से होता है, और आस्था का समभंद ह्रदय से. केवल इतनी सी बात के लिए किसी की भी आस्था नहीं बदल सकती है.
ReplyDeleteदीवारें मजहब की
ReplyDeleteटूट रही हैं टूटेंगी।
शाह नवाज़ से सहमत और ...
ReplyDeleteवो क़त्ल भी करते है तो चर्चा नहीं होता हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
आप सिर्फ भारत में देख रहे हो क्यूंकि आपकी दृष्टि राष्ट्रवाद के चश्मे से ग्रसित है.......
एक तरफ आप अगर हिन्दू लड़की से शादी करने पर लव जिहाद कह कर परेशान करते हो तो दुसरी तरफ ऐसे उद्वरण देकर आप खुद को दोगला ही साबित कर रहे हो....
दोनों में से एक ही बात हो सकती है.... जिससे आप यह साबित कर देते हैं कि शाहरुख़ से गौरी से शादी करने को प्रेम के रूप में देखा जाना चाहिए .....
प्यार पवित्र है वो धर्म के आइने से नहीं देखा जाता।
ReplyDeleteशादी एक लड़का एक लड़की से करता है न की एक हिन्दू एक मुस्लिम से या फिर एक मुस्लिम एक हिन्दू से |
ReplyDeleteआप ने जिन लोगो का यहाँ उदाहरण दिया है उन्हों ने ये नहीं देखा होगा की सामने वाला हिन्दू है या मुस्लिम |
आप का सवाल बहुत बेतुका है |
jin loogon ka yahan udharan diya gaya hai we log na hindu dharam ka palan karte hain na muslim dharam ka,
ReplyDeleteकितनी अजीब बात है...शादी उन्होंने की और चर्चा आप कर रहे हैं...
ReplyDeleteइन शादियों में धर्म का कोई स्थान नहीं होता....सिर्फ प्रेम होता है...वो लोग बहुत सुखी हैं...
जब एक दूसरे को मन से चाहा होगा ये नहीं देखा होगा कि वो हिन्दू है ये मुसलमान....और उसके बाद भी नहीं...एक दूसरे के धर्म को सम्मान देते हुए आराम से जी रहे होंगे....
लाखों उदाहरण मिलेंगे आपको...ऐसी शादियों की...और हाँ ये एक तरफ़ा नहीं है...योग्य हिन्दू लड़कों ने भी मुस्लिम लड़कियों से विवाह किया है....और बहुत खुश रहे हैं....
इसलिए ऐसी बातें करके प्रेम का तिरस्कार मत कीजिये...
अगर राष्ट्रवाद के चश्मे से देखना गुनाह है तो मैं यह जरूर करना चाहूँगा..
ReplyDeleteऊपर दिया गया कमेन्ट सिर्फ सलीम जी के राष्ट्रवाद शब्द पर है..
@Shah Nawaz
ReplyDeleteप्रेम के नाम पर हिन्दू लड़कियों से जो खिलवाड़ क्या जा रहा है, उसे क्या नाम देंगे ?
@ कहत कबीरा...सुन भई साधो
ReplyDeleteप्रेम के नाम पर किसी हिन्दू अथवा मुस्लिम लड़की से कोई खिलवाड़ नहीं किया जा रहा है..... हो सकता है किसी एक-आध व्यक्ति की कोई गलत मानसिक स्थिति हो, परन्तु ऐसा भिल्कुल नहीं है की ऐसा संयोजित तरीके से होता है. बल्कि आज भी मुस्लिम समाज में लव मैरिज को अच्छी नहीं नज़र से नहीं देखा जाता है.
दूसरा धर्म तो छोडो दुसरे खानदान तक में शादी को आसानी से नहीं पचाया जाता है.मेरे माता पिता अलग-अलग खानदानो से हैं और आज भी अपने पुश्तैनी कसबे में इस बात को लेकर हम बातें सुनते हैं.
ReplyDeleteEvery sensible person wants a better spouse. So educated muslims , those who are not fundamentalist, they opt for a Hindu girl for a better life. Scientifically/medically , intercaste and inter-religion marriages are good for progeny. So the wise muslim males are opting for Hindu girls.
ReplyDeleteIts a wise decision Indeed. And also it shows that such guys are unbiased and also above trivial issues. They are not regretting their decision. Their wives are proving true companions to them. They are touching great heights due to their wise decisions at all times. Be it marriage or any other controversy.
Jodha-Akbar is another fine example in History.
Looking for a better spouse and progeny is indeed sensible.
Divya
असली मीनाकुमारी की रचनाएं अवश्य बांचे
ReplyDeleteफिल्म अभिनेत्री मीनाकुमारी बहुत अच्छा लिखती थी. कभी आपको वक्त लगे तो असली मीनाकुमारी की शायरी अवश्य बांचे. इधर इन दिनों जो कचरा परोसा जा रहा है उससे थोड़ी राहत मिलगी. मीनाकुमारी की शायरी नामक किताब को गुलजार ने संपादित किया है और इसके कई संस्करण निकल चुके हैं.
आपकी पोस्ट का शीर्षक ही गलत है....
ReplyDeleteसेलेब्रेटियों की जीवन शैली और उनके निर्णय धार्मिक बेड़ियों को नहीं मानते. उनके कृत्य (अच्छे या बुरे) को सामान्य समाज से जोड़ना उचित नहीं है.
एक कारण यह भी हो सकता है की वे (मुस्लिम पुरुष) मोडर्न सोच (खुले नजरिये वाली महिलायें) ज्यादा पसंद करते हों. मुस्लिम समाज में आम महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है ये सभी जानते हैं. उन्हें उच्च शिक्षा और आधुनिक जीवन शैली से दूर रखने का प्रयास किया जाता है. लेकिन समय बदल रहा है अब. दृश्य भी बदलेंगे.
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