भंडाफोडू से साभार
अपने देखा होगा कि जब ट्रेन में किसी आदमी को बिना टिकट पकड़ा जाता है, तो वह अपने बचाओ में यही दलीलें देता है कि ,मैं अकेला ही गाड़ी में बिना टिकट नहीं हूँ ,और भी हैं ,सिर्फ मुझे ही क्यों पकड़ा जा रहा है .लेकिन किसी दूसरे की गलतियां बताकर कोई भी खुद को निर्दोष सिद्ध नही कर सकता .एक दुसरे पर कीचड़ डालने पहिले देख लें कि कही आप खुद तो गंदे नहीं हो रहे हैं .छाहे वह हिन्दू हों या कोई और.पहिले अपने कपडे साफ़ कर लीजिये .मेरी कल कि पोस्ट पर कमेन्ट में मुझ से ११ सवाल पूछे गए ,मैं उनके उत्तर दे रहा हूं
१-हिन्दू नारी कितनी बेचारी
नारी को बेचारी कहते तो ठीक होता ,लेकिन हिन्दू नारी उतनी बेचारी कभी रही ,जितनी मुहम्मद की पुत्री फातिमा थी.जब अबू बकर और ऊमर ने अपने लोगों के साथ फातिमा के घर पर हमला करके घर में घुसने की कोशिश की थी .जब फातिमा ने दरवाज़ा बंद करना चाहा तो इन दौनों ने फातिमा को दरवाजे की किवाड़ से इतनी जोर से दवाया कि उसकी पसलियाँ टूट गयीं ,और उसके गर्भ का बच्चा भी मर गया था .मुहम्मद ने खुद उस होने वाले बच्चे का नाम मुहसिन रखा था
हिन्दू नारी हुसैन की बहिन की तरह बेचारी कभी नहीं रही ,जब यजीद की फौजों ने जैनब को बेपर्दा करके सारे शहर में घुमाया था .और कैद किया था. और जैनब को हुसैन का कटा हुआ सर देखते ही जैनब मर गयी थी .इसी तरह हिन्दू नारी सकीना कि तरह बेचारी कभी नहीं रही जब यजीद के लोगों ने हुसैन की छोटी सी बच्ची सकीना को रस्सी से बाँध कर रास्ते भर घुमाया था .और शुमर नामका आदमी रास्ते भर सकीना को तमाचे मारता रहा था .बेचारी बच्ची रो रोकर पानी मांगती रही और आखिर मर गयी .यह काम करने वाले अबू बकर और ऊमर मुहम्मद के सहाबा थे .और कलमा पढ़ते थे .नारी को बेचारी तो इस्लाम ने बना रखा है .हिन्दू नारियां आज भी आज़ाद हैं .
२-क्या दयानंद को हिन्दू संत कहा जा सकता है?
बिलकुल नहीं,वे हिन्दू संत नहीं धर्म सुधारक थे .उन्होंने पाखंडी लोगों की पोल खोल दी थी ,और हिन्दुओं को ईसाई और मुसलमान बनाने से बचाया था.
३-कौन कहता है अल्लाह ईश्वर एक है
कुरआन कहता है ,एक नहीं दो हैं "इलाहुना व् इलाहुकुम "यानी मेरा खुदा और तुम्हारा खुदा .इससे सिद्ध होता है कि दौनों अलग हैं
४- क्या कहेंगे अल्लोपनिषद को न मानने वाले
वेदों के कई उपनिषद् और शाखाएं है कुरआन की सूरतों कीतरह कुछ बड़ी हैं ,कुछ छोटी .इसी तरह एक अरबोपनिषद भी है अगर मुसलमान अरबोपनिषद को स्वीकार कर लेंगे तो हिन्दू भी अल्लोपनिषद को कबूल कर लेंगे.अरबोपनिषद अगली पोस्ट में दिया जाएगा
५- गर्भाधान आर्यों का नैतिक सूचकांक
गर्भाधान की परंपरा अल्लाह के नबी लूत से शुरू हुई .लूत ने अपनी दौनों लड़कियों का गर्भाधान किया था.बाद में उसी गर्भाधान से यहूदिओं और मुसलमानों की नस्लें पैदा हुयीं .तौरेत -उत्पत्ति -१९:३२ से ३६
६- आत्महत्या में हिन्दू युवा अव्वल क्यों
मुसलमानों को देखकर ,मुस्लिम युवा आत्मघाती बोम्बर क्यों बन रहे हैं .अबतो मुस्लिम लड़कियां और बच्चे भी आत्मघाती बोम्बर बन रहे है .परेशान होकर मुल्ले इसके खिलाफ फतवे दे रहे हैं .
७-इंद्र ने कृष्ण नामके राजा की गर्भवती स्त्रियों की हया की थी
यह तो काफी पुरानी बात है .सूरा ३३:२६ के अनुसार मुहम्मद ने सन ६२७ में बनी कुरैजा के ९०० लोगों की ह्त्या करवाई थी .जिसमे मर्दों के साथ गर्भवती औरतें और बच्चे भी थे.मुहम्मद ने अपने आदमियों के साथ एक एक करके सबको क़त्ल करवाया था.सिर्फ दो सुन्दर औरतों को अपने लिए रख लिया था .१.सफीया बिन्त हुवय्या २ रेहाना बिन्त जैद.एक तरफ मुहामद के लोग इन औरतों के पतिओं को क़त्ल कर रहे थे तो दूसरी तरफ मुहम्मद इन औरतों के साथ शादी कर रहा था .यही कारण है की मुहम्मद के वंश का नाश हो गया
८-गायत्री को वेदमाता क्यों कहा जाता है? क्या वह कोई औरत है
ज़रा थोड़ा हदीसों को पढ़िए .शराब को उम्मुल खाबायिस क्यों कहा यानी बुराइयों की माँ,और और दुख्तरे ऱज यानी अंगूर की बेटी क्यों कहते हैं जब शराब बेटी और माँ हो सकती है ,तो गायत्री माँ क्यों नही हो सकती है ,दौनों औरत नहीं हैं
९- हिन्दू नारीओं को पुत्र प्राप्ती के लिए वीर्यदान के लिए कौन मजबूर करता है
आप अजमेर में कुछ दिन देखो ,वहां दरगाह के खादिम और मुजाविर मुस्लिम औरतों को वीर्यदान दे रहे है की नही .जब औरते अपना पेट फुलाकर घर आती हैं ,तो कहती हैं यह ख्वाजा का करम है .
१० -आर्य नारी को बेवफा क्यों कहा जाता है
इस्लाम की तरह जूतियाँ तो नहीं कहा जाता.इमाम हसन की औरत तो आर्य नही थी .उसने अपने पति को जहर क्यों दिया था
११- लंका दहन में हनुमान ने मंदिर को टूटने से बचाना क्यों नही समझा
शायद वह कुछ देर के लिए मुसलमान बन गया होगा .नाम से ही लगता है ,लुकमान ,उसमान ,रहमान ,हनुमान
अरे मेरे भाई मंदिर का एक अर्थ मकान भी होता है .उर्दू पढ़ने सब उलटा समझ में आता है
Wednesday, June 23, 2010
Sunday, June 20, 2010
happy draw mohammed day का विरोध करें
मुस्लमान हमारे पूज्य देवी-देवता के अश्लील चित्र बनायें. उनके बारे में अपशब्द बोलें,परन्तु हम इनके रसूल के चित्र बनाने वालों का विरोध करेंगे, क्योंकि हमारा खून इनकी तरह गंदा नहीं. ये जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं. विश्वभर में रसूल की ड्राइंग बनाने पर बल दिया जा रहा है. आओं मिलकर इसका विरोध करें
happy draw mohammed day
Link
Bare Naked Islam
happy draw mohammed day
Link
Bare Naked Islam
Thursday, June 17, 2010
जो लोग मुसलमान नहीं बनते थें उनके शरीर में कीलें ठोककर एवं कुत्तों से नुचवाकर मरवा दिया जाता था
साभार राहुल पंडित गुरु नानक देव जी
मुसलमान सैय्यद , शेख , मुगल पठान आदि सभी बहुत निर्दयी हो गए हैं । जो लोग मुसलमान नहीं बनते थें उनके शरीर में कीलें ठोककर एवं कुत्तों से नुचवाकर मरवा दिया जाता था ।
नानक प्रकाश तथा प्रेमनाथ जोशी की पुस्तक पैन इस्लाममिज्म रोलिंग बैंक पृष्ठ ८०
मुसलमान सैय्यद , शेख , मुगल पठान आदि सभी बहुत निर्दयी हो गए हैं । जो लोग मुसलमान नहीं बनते थें उनके शरीर में कीलें ठोककर एवं कुत्तों से नुचवाकर मरवा दिया जाता था ।
नानक प्रकाश तथा प्रेमनाथ जोशी की पुस्तक पैन इस्लाममिज्म रोलिंग बैंक पृष्ठ ८०
Monday, June 14, 2010
मुसलमानों का नया रसूल : मौलाना कदीर
भंडाफोडू और महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर से साभार
रसूल शब्द अरबी के र स ल शब्द से बना है जिसका अर्थ है भेजा गया ,या जिसे भेजा गया हो. इसलिए मुसलमान मुहम्मद को अल्लाह के द्वारा भेजा गया व्यक्ति मानते हैं,जो अल्लाह के आदेशों का पालन करे और लोगों से करवाए..जो भी मुहम्मद के बाद रसूल होने की बात करता है मुसलमान उसे काफिर घोषित कर देते है.मुस्लिम देशों में इसकी सजा म्रत्युदंड दी जाती है .
लेकिन पिछले चुनाव में महाराष्ट्र के संभाजी नगर से राष्ट्रीय कांग्रेस के उमीदवार मौलाना कदीर ने अपने चुनावी पर्चों में कहा कि अल्लाह ने मुझे भेजा है, ताकि मैं हिन्दुओं का नामोनिशान मिटा दूँ .यह पर्चे सारे औरंगाबाद में बांटे गयी और चिपकाए गए थे..पर्चे का पूरा मजमून इस प्रकार है -
"अमानुल्ला का ज़माना फिर से लाना है ,हिन्दुओं का नामोनिशान मिटाना है ,मुझे अल्लाह ने भेजा है ,और्ग की जमीन पर चाँद सितारा लहराना है "
हे इमां वालो आपको आगाह किया जाता है कि मैं सय्यद अब्दुल कादिर मौलाना कांग्रेस राष्ट्रवादी पार्टी की ओर से १०७ औरंगाबाद मध्य के उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव में खडा हूँ,आप बखूबी जानते हैं कि ईमानवालों की हिफाजत के लिए मेरे जैसे उम्मीदवार की सख्त जरूरत है .इसलिए वो मुसलमानों की हिफाजत करे और उनके हुकूक का ख्याल करे.मेरे कामों से आप लोग वाकिफ हैं.इसलिए मैं तहे दिल से आपसे दरख्वास्त करता हूँ कि आप मुझे ही अपना कीमती वोट दें.
मैं तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि इस्लाम पर गैर मुसलमानों की तरफ से जो मुसीबातें आन पड़ती हैं उसका मुकाबला करने के लिए और अपनी ताकत बढ़ने के लिए आप मेरी गुजारिश का ख्याल करके किसी दूसरे को वोट देने की गलती न करें."
बड़े ताजुब की बात यह है कि इस पर्चे को पढ़ कर मुसलमान चुप बैठे रहे.क्योंकि अगर किसी हिन्दू ने ऐसा पर्चा बांटा होता तो मुसलमान जमीन आसमां एक करा देते.इसमे हिन्दुओं को मिटाने बात है .मुसलमान यही तो चाहते है .वे तो सिर्फ हिदुओं पर भद्काऊ भाषण देने के आरोप लगाने के आदी हैं आजकल उनके साथ औरतें भी शामिल हो गयीं हैं .जो अपने ब्लोगों में हिन्दुओं पर अनापशनाप आरोप लगाती रहतीं हैं.
और कोई प्रगतिशील महिला इन कट्टर लोगोंके खिलाफ लिखती हैं सारे तालिबानी विचार वाले उसके खिलाफ लाम बंद हो जाते हैं
लेकिन कोई सच्चाई का मुंह बंद कर सकता
Wednesday, June 9, 2010
इस्लाम का संदेश - आतंक मचाओ हूर मिलेगी
साभार महाशक्ति
इस्लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है यह मेरा कहना नही है किन्तु जब इस्लाम से सम्बन्धित ग्रंथो का आध्ययन किया जाये तो प्रत्यक्ष रूप ये यह बात सामने आ ही जाती है। कि घूम फिर कर अल्लाह को खुश करने के लिये जगह पर आंतक फैलाने और उनके अनुयायियों खुश करने के लिये सेक्स की बात खुल कर कही जाती है।
इस्लाम के पवित्र योद्धाओ (आतंकियो) को यौन-सुखों और भोगविलास के असामान्य विशेषाधिकार दिए गए हैं। यदि वे लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं तो उनके लिए गैर-मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप में सुनिश्चित हो जाती हैं। लेकिन यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं तो वे हूरियों से भरे 'जन्नत' के अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण में निश्चित रूप से प्रवेश के अधिकारी हो जाते हैं। अल्लाह को खुश करने के लिये कई जगह मुर्तिपूजको तथा गैर-मुसलमानों की संहार योजना में भाग लेने के बदले में यौन-सुखों के प्रलोभनों का वायदा किया जाता है जैसे कि
यदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध भूमि की कठिन परिस्थितियों मारा गया तो उसे 'जन्नत' में उसकी प्रतीक्षा कर रहीं अनेक हूरों के साथ असीमित भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद मिलेगा, और यदि वह जीवित बचा रहा तो उसको 'गैर-ईमान वालों' के लूट के माल, जिसमें कि उनकी स्त्रियाँ भी शामिल होंगी, में हिस्सा मिलेगा।
इन आतंकियो को कितनी अच्छी तरह से हूरो का लालच दे कर बरगलाया जा रहा है हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य के वर्णन इस प्रकार है
•हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है जिसका शरीर पारदर्शी होता है। उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इसी प्रकार दिखाई देता है जैसे रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ दिखती हैं। वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की भाँति दिखाई देता है।
•उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, मल व मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है।
•प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है। उसके उरोज उन्नत, गोल और बडे होते हैं जो झुके हुए नहीं हैं। हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं।
•हूर यदि 'जन्नत' में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है।
•हूर का मुख दर्पण से भी अधिाक चमकदार होता है, तथा उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है। उसकी हड्डियों का द्रव्य ऑंखों से दिखाई देता है।
•प्रत्येक व्यक्ति जो 'जन्नत' में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएँगी। जब वह 'जन्नत' में प्रवेश करता है, मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो, वहाँ तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी।
अब भई अब जब हूर इतनी खूब होगीं तो कोई क्यो न अल्लाह के लिये मरने को तैयार होगा, इन आतंकियो का यही मकसद होता है कि घरती पर उनके विलास के लिये अल्लाह द्वारा दिया गया मसौदा तो तैयार ही है और जन्नत में भी हूरे उनका इन्जार कर रही है। सोने पर सुहागा
हदीस तिरमिज़ी खंड-2 (पृ.138) करती है कि ''जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर कामशक्ति दी जाएगी'' :) जैसे जन्नत में थोक के भाव वियाग्रा की फैक्ट्री लगी है। क्या इसके बाद भी यौन-सुखों के लिए आकर्षित करने वाले प्रलोभनों और प्रमाणों को देने की आवश्यकता रह जाती है जो कि इस्लाम अपने जिहादी योद्धाओ को प्रेरित करने के लिए प्रस्तुत करता है?
इस्लाम का उदृदेश्य आतंक और सेक्स है यह मेरा कहना नही है किन्तु जब इस्लाम से सम्बन्धित ग्रंथो का आध्ययन किया जाये तो प्रत्यक्ष रूप ये यह बात सामने आ ही जाती है। कि घूम फिर कर अल्लाह को खुश करने के लिये जगह पर आंतक फैलाने और उनके अनुयायियों खुश करने के लिये सेक्स की बात खुल कर कही जाती है।
इस्लाम के पवित्र योद्धाओ (आतंकियो) को यौन-सुखों और भोगविलास के असामान्य विशेषाधिकार दिए गए हैं। यदि वे लड़ाई के मैदान में जीवित रह जाते हैं तो उनके लिए गैर-मुसलमानों की स्त्रियाँ रखैलों के रूप में सुनिश्चित हो जाती हैं। लेकिन यदि वे युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं तो वे हूरियों से भरे 'जन्नत' के अत्यन्त विलासिता पूर्ण वातावरण में निश्चित रूप से प्रवेश के अधिकारी हो जाते हैं। अल्लाह को खुश करने के लिये कई जगह मुर्तिपूजको तथा गैर-मुसलमानों की संहार योजना में भाग लेने के बदले में यौन-सुखों के प्रलोभनों का वायदा किया जाता है जैसे कि
यदि वह (आतंक फैलाने वाला ) युद्ध भूमि की कठिन परिस्थितियों मारा गया तो उसे 'जन्नत' में उसकी प्रतीक्षा कर रहीं अनेक हूरों के साथ असीमित भोगविलासों एवं यौन-सुखों का आनंद मिलेगा, और यदि वह जीवित बचा रहा तो उसको 'गैर-ईमान वालों' के लूट के माल, जिसमें कि उनकी स्त्रियाँ भी शामिल होंगी, में हिस्सा मिलेगा।
इन आतंकियो को कितनी अच्छी तरह से हूरो का लालच दे कर बरगलाया जा रहा है हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों के सौंदर्य के वर्णन इस प्रकार है
•हूर एक अत्यधिक सुंदर युवा स्त्री होती है जिसका शरीर पारदर्शी होता है। उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इसी प्रकार दिखाई देता है जैसे रूबी और मोतियों के अंदर की रेखाएँ दिखती हैं। वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की भाँति दिखाई देता है।
•उसका रंग सफेद है, और साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों जैसे मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति, मल व मूत्रा विसर्जन, गर्भधारण इत्यादि संबंधित विकारों से मुक्त होती है।
•प्रत्येक हूर किशोर वय की कन्या होती है। उसके उरोज उन्नत, गोल और बडे होते हैं जो झुके हुए नहीं हैं। हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं।
•हूर यदि 'जन्नत' में अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाता है।
•हूर का मुख दर्पण से भी अधिाक चमकदार होता है, तथा उसके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है। उसकी हड्डियों का द्रव्य ऑंखों से दिखाई देता है।
•प्रत्येक व्यक्ति जो 'जन्नत' में जाता है, उसको 72 हूरें दी जाएँगी। जब वह 'जन्नत' में प्रवेश करता है, मरते समय उसकी उम्र कुछ भी हो, वहाँ तीस वर्ष का युवक हो जाएगा और उसकी आयु आगे नहीं बढ़ेगी।
अब भई अब जब हूर इतनी खूब होगीं तो कोई क्यो न अल्लाह के लिये मरने को तैयार होगा, इन आतंकियो का यही मकसद होता है कि घरती पर उनके विलास के लिये अल्लाह द्वारा दिया गया मसौदा तो तैयार ही है और जन्नत में भी हूरे उनका इन्जार कर रही है। सोने पर सुहागा
हदीस तिरमिज़ी खंड-2 (पृ.138) करती है कि ''जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर कामशक्ति दी जाएगी'' :) जैसे जन्नत में थोक के भाव वियाग्रा की फैक्ट्री लगी है। क्या इसके बाद भी यौन-सुखों के लिए आकर्षित करने वाले प्रलोभनों और प्रमाणों को देने की आवश्यकता रह जाती है जो कि इस्लाम अपने जिहादी योद्धाओ को प्रेरित करने के लिए प्रस्तुत करता है?
Subscribe to:
Posts (Atom)